भारत की आपत्ति के बावजूद यूरोपीय संसद में उसके संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर मतदान को मार्च तक टाल दिया गया है। पहले इस प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को मतदान होने की उम्मीद थी। यूरोपीय संसद के सदस्यों द्वारा पेश पांच अलग-अलग संकल्पों वाले संयुक्त प्रस्ताव को ब्रुसेल्स में बुधवार को पूर्ण अधिवेशन के अंतिम एजेंडे में बहस के लिए रखा गया। प्रस्ताव में मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के बयान का जिक्र किया गया है, जिसमें सीएए को मौलिक अधिकारों के प्रति भेदभावपूर्ण कहा गया।
यूरोपीय संसद से जारी एक बयान में सीएए पर लाए प्रस्ताव पर मतदान को मार्च के सत्र तक टालने की बात कही गई है। हालांकि इस स्थगन की वजह अभी साफ नहीं हो सकी है लेकिन इसके पीछे भारत सरकार की कोशिशों को माना जा रहा है। भारत कानून को अपना आंतरिक मामला बताकर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रहा है। हालांकि यूरोपीय संसद के बयान में कहा गया है कि प्रस्ताव पर अपने तय कार्यक्रम के अनुसार बहस होगी।
प्रस्ताव लाने वाले समूहों में यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स), प्रोग्रेसिव अलायंस ऑफ सोशलिस्ट एंड डेमोक्रेट, ग्रुप ऑफ ग्रीन/ यूरोपियन फ्री अलायंस, रिन्यू यूरोप ग्रुप और यूरोपियन युनाइटेड लेफ्ट/ नोर्डिच ग्रीन लेफ्ट ग्रुप के कुल 751 सांसदों में से 560 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें से सात ऐसे सांसद भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल भारत सरकार के निमंत्रण पर कश्मीर का दौरा किया था।
यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष और विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति के लिए संघ की उच्च प्रतिनिधि हेलेना डेल्ली ने चर्चा की शुरुआत की और भारत के साथ यूरोपीय संघ के साथ ‘खुले, ईमानदार और मजबूत’ रिश्तों के पक्ष में मुखरता से अपने विचार रखे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के लिए मार्च में ब्रसेल्स आने का भी जिक्र किया।
प्रस्ताव लाने वाले समूहों में यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स), प्रोग्रेसिव अलायंस ऑफ सोशलिस्ट एंड डेमोक्रेट, ग्रुप ऑफ ग्रीन/ यूरोपियन फ्री अलायंस, रिन्यू यूरोप ग्रुप और यूरोपियन युनाइटेड लेफ्ट/ नोर्डिच ग्रीन लेफ्ट ग्रुप के कुल 751 सांसदों में से 560 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें से सात ऐसे सांसद भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल भारत सरकार के निमंत्रण पर कश्मीर का दौरा किया था।
यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष और विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति के लिए संघ की उच्च प्रतिनिधि हेलेना डेल्ली ने चर्चा की शुरुआत की और भारत के साथ यूरोपीय संघ के साथ ‘खुले, ईमानदार और मजबूत’ रिश्तों के पक्ष में मुखरता से अपने विचार रखे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के लिए मार्च में ब्रसेल्स आने का भी जिक्र किया।